17 सितम्बर 2020 को है आश्विन अमावस्या, जानिए व्रत की कथा एवं इतिहास
वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। जिस दिन सूर्य और चन्द्र साथ रहते है, उस दिन को अमावस्या मनाई जाती है। वर्ष के प्रत्येक माह में अमावस्या मनाई जाती है। तदनुसार आश्विन की अमावस्या 17 सितम्बर 2020 को मनाया जाएगी। हिन्दू धर्म में अमावस्या व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन किये गए दान-पुण्य से अमोघ फल एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। ashwin amavasya importance
अमावस्या की कथा ashwin amavasya importance
मत्स्य पुराण के अनुसार प्राचीन काल में पितरों ने आच्छोद नामक एक सरोवर का निर्माण किया था। इस सरोवर का नाम उन्होंने अपनी कन्या आच्छोदा के नाम पर रखा था।आच्छोदा ने एक बार सहस्त्र दिव्य वर्षों तक कठिन तप की। तदोपरांत पितरगण उनको वर देने के लिए उपस्थित हुए। ashwin amavasya importance
जिसमें अमावस नामक पितर भी उपस्थित हुए थे। अमावस नामक पितर को देखकर आच्छोदा उनके प्रति अनुरक्त हो गयी। उस समय आच्छोदा, अमावस से प्रणय याचना करने लगी। किन्तु अमावस ने अपना धैर्य और विवेक नही खोया। अमावस की धैर्य से पितरगण अति प्रसन्न हुए। पितरगण ने प्रसन्न होकर कृष्ण पक्ष की पंचोदशी तिथि को अमावस के नाम अमवस्या रख दिया। तबसे प्रत्येक माह में क्रृष्ण पक्ष की पंचोदशी को अमावस्या पर्व मनाया जाता है।
अमावस्या का महत्व
धार्मिक ग्रंथो में अमावस्या व्रत के महत्व का उल्लेख है। इस दिन निराहार रहकर उपवास करना चाहिए। उपवास का अभिप्राय उप-समीप और वास-निवास अर्थात परमात्त्मा के समीप रहना उपवास कहलाता है। अमावस्या के दिन भी ऐसे ही कार्य करना चाहिए जो परमात्मा को प्रिय हो। सांसारिक भौतिक सुखों से दूर रह परमात्मा के सान्निध्य रहना चाहिए। इस दिन पितरों को दिए गए तर्पण से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अमावस्या व्रत विधि
इस दिन प्रातः काल उठें, दैनिक कार्य से निवृत होकर पवित्र नदियों अथवा सरोवरों में स्नान करना चाहिए। तदोपरांत सूर्य देव को अर्घ्य देकर नदी में तिल को प्रवाहित करें। इस दिन पितरों को तर्पण किया जाता है। जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः पितर तर्पण अवश्य करें।
पूजा सम्पन्न होने के पश्चात सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों एवम गरीबों को दान करें। अमावस्या के दिन निराहार रहकर उपवास करना चाहिए। व्रत प्रभाव से व्रती के जीवन में सुख, शांति एवं मंगल का आगमन होता है। इस प्रकार भाद्रपद अमावस्या की कथा सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए भगवान शिव जी की जय। ashwin amavasya importance