रघुनाथ मंदिर का इतिहास
रघुनाथ मंदिर कुल्लू की जैसी प्राकृर्तिक छटा है वैसी ही अद्धभुत इनकी कथा और उससे भी बड़ी इनकी दुख भड़ी व्यथा है। हिमाचल के कुल्लू प्रदेश के खूब सूरत वादियों में बना यह भव्य मंदिर आज अपने स्वामी सिया रघुनाथ जी के लिए चीत्कार कर रही है। भारतीय प्राचीन संस्कृति के धरोहर, आध्यात्मिक, शक्ति एवं भक्ति का अनुपम उद्धरण आज क्या कह रहा है ? इनकी कथा और व्यथा का वर्णन यहां बहुत ही कम शब्दों में करने की कोशिस कर रहा हूँ। raghunath temple history
इस रघुनाथ मंदिर का आरम्भ ही दुःख से होती है। इस मंदिर का निर्माण कुल्लू प्रदेश के दिवंगत राजा जगत सिंह ने करवाया था। कहते हैं राजा को कुष्ठ रोग हो गया था वैद्यों ने ठीक होने की संभावना से साफ़ इंकार कर दिया। राजा जगत सिंह अपने दुख से दुखी होकर व्याकुल हो रहे थे उसी समय उनकी भेंट भुंतर क्षेत्र में रहने वाले पयहारी बाबा से हुई। पयहारी बाबा ने उन्हें कहा अगर अयोध्या से श्री रघुनाथ जी और सीता माता की वो मूर्ति लेकर यहां आएं जो अश्वमेघ यज्ञ के समय में श्री राम जी ने स्वयं बनवाए थे। raghunath temple history
उसके बाद राजा जगत सिंह ने अपने अथक प्रयास से रत्न जड़ित सोने से बनी उस दिव्य मूर्ति को अयोध्या से मंगवाए। यह घटना सन१६७२ ई की है रघुनाथ जी और सीता जी के,मूर्ति यहां आते ही राजा का रोग चमत्कारिक रूप से ठीक होने लगा। कुछ ही महीनो में स्वस्थ होकर राजा ने यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। उसी समय से यहां भगवान श्री रघुनाथ जी, सीता जी समेत निवास कर रहे थे। कुल्लू को समर्पित दशहरा उत्सव उसी समय यानी सन 1672 ई से चली आ रही है। raghunath temple history
इस चमत्कारिक कहानी से जुडी राजा जगत सिंह की वो कथा इससे भी अधिक दुःख भड़ी और आश्चर्य जनक है। कहा जाता है की एक बार राजा जगत सिंह के एक चाटुकार ने दुर्गादत्त नामक एक गरीब ब्राह्मण की झूठी शिकायत राजा से कर दी कि इसके पास चार किलो मणि है।राजा इसका बिना कोई जांच पड़ताल किये ही ब्राह्मण दुर्गा दत्त से जाकर कहा जब तक मैं मणिकर्ण से लौटकर आ रहा हूँ तब तक जहाँ भी छिपाकर मणि रखे हो निकालकर रखना होगा और जब मैं यहां यात्रा से लौटकर आउं तब हमें चार किलो मणि तुम्हें दिखाना होगा। कहते हैं राजा के बचन से आहत होकर दुर्गा दत्त ब्राह्मण ने अपने पुरे परिवार सहित एक घर में बंद होकर आत्मदाह कर लिया। ऐसी कथा आती है उसी समय से राजा रोगी हो गया ,धीरे धीरे राजा जगतसिंह कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए। इस बीमारी से मुक्ति तब जाकर मिली जब अयोध्या से पयहारी बाबा के निर्देश पर त्रेता युगीन सीता और श्री राम की मूर्ति यहां लायी गयी। raghunath temple history
हिमाचल प्रदेश के इन्साइक्लोपीडिआ ऑफ़ कुल्लुत एवं कुलूत हिंदी व्याकरण के लेखक दयानंद सारस्वत का कहना है कि रघुनाथ मंदिर से चोरी गई सीता राम की मूर्ति त्रेता युगीन है। इस मूर्ति की चोरी कोई साधारण चोरी नही है। इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए। । मूर्ति चोरी होने के बाद से मंदिर खाली है और आस्थावान लोग दुखी हैं। raghunath temple history