29 अगस्त 2018 को है कजरी तीज जानिए वर्त की कथा एवम इतिहास
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कजरी तीज पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। तदनुसार इस वर्ष गुरुवार 29 अगस्त 2018 को कजरी तीज मनाई जाएगी। कजरी तीज को ‘हरितालिका तीज’ भी कहा जाता है। devotional kajari teej history
इस पर्व के एक दिन पूर्व अर्थात भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वितीया को रतजगा किया जाता है। महिलायें इस रात्रि में कजरी खेलती एवम गाती है। कजरी खेलना एवम गाना दो अलग-अलग विधि है। कजरी के गीतों में जीवन के विविध पहलु जैसे प्रेम, मिलान, विरह, सुख-दुःख आदि का समावेश होता है। devotional kajari teej history
कजरी तीज पर्व का स्वरूप devotional kajari teej history
कजरी तीज पर्व के कुछ दिन पूर्व से सुहागिन नदी-तालाब आदि से मिट्टी लाकर उस मिट्टी से एक पिंड बनाती है और उस पिंड में जौ के दाने बोती है। मिट्टी से बने इस पिंड में प्रतिदिन पानी डालती है। जिससे जौ के पौधे निकल आते है। devotional kajari teej history
जौ के इस पौधे को कजरी पर्व के दिन लड़कियां अपने भाई तथा घर के बुजुर्गों के कान पर रखकर उन्हें प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती है। इस प्रक्रिया को ‘जरई खोंसना’ कहा जाता है। कजरी का यह स्वरूप मात्र ग्रामीण क्षेत्रों में सिमित है। यह विधि गायन करते हुए किया जाता है जो देखने में अत्यंत मोहक लगता है। devotional kajari teej history
विनायक चतुर्दशी की कथा एवम इतिहास
प्राचीन काल से कजरी-गायन की परम्परा है। भक्तिकाल के भक्त सूरदास, प्रेमधन जी आदि कवियों ने भी कजरी के मनोहर गीत की रचना की थी। कजरी तीज पर्व माहेश्वरी समाज का विशेष पर्व है। devotional kajari teej history
महत्व devotional kajari teej history
हिन्दू धर्म में त्यौहार का विशेष महत्व है। इस पर्व को महिलाएं सुख, सौभाग्य और पति की लम्बी उम्र के लिए रखती है। पुराणों में वर्णित है कि अखंड सुहाग के लिए इस दिन शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती है। इस त्यौहार को महिलाएं बड़े ही उत्साह से मनाती है। devotional kajari teej history
व्रत विधि devotional kajari teej history
कजरी तीज के दिन निराहार रहना चाहिए। सूर्यास्त के समय स्नान करके शुद्ध एवम श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए। भगवान शिव जी एवम माँ पार्वती के प्रतिमा को पूजा स्थल पर एक चौकी पर अवस्थित करें। तत्पश्चात पूजा प्रारम्भ करना चाहिए सर्वप्रथम जलाभिषेक करें, फिर दूध अथवा पंचामृत भगवान को अर्पित करें। devotional kajari teej history
तदोपरांत पुनः जलाभिषेक कर भगवान की प्रतिमूर्ति को शुद्ध करें। भगवान शिव जी एवम माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धुप, दीप आदि से करें। पूजा सम्पन्न होने पर सास-ससुर एवम घर के बड़े सदस्य को चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। इस प्रकार कजरी तीज की कथा सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए गौरी-पति महादेव की जय। devotional kajari teej history
( प्रवीण कुमार )