17 सितम्बर 2018 को है श्री विश्वकर्मा जयंती जानिए वर्त की कथा एवम इतिहास
हिन्दू धर्म में प्रत्येक वर्ष 17 सितम्बर को विशवकर्मा पूजा मनाई जाती है इस वर्ष 17 सितम्बर 2018 को विश्वकर्मा पूजा है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां थी, उसका निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया है। devotional vishwakarma puja history
सतयुग, कलयुग, स्वर्ग लोक, त्रेता युग की लंका, द्वापर की द्वारिका तथा कलयुग का हस्तिनापुर आदि नगरों की शिल्पकार विश्वकर्मा जी ने किया है। इससे अभिप्राय है कि धन-धान्य और सुख-समृद्धि की अभिलाषा रखने वालों व्यक्तियों को बाबा विष्वकर्मा की पूजा करना मंगलदायी है। जो मनुष्य बाबा विश्वकर्मा जी की पूजा श्रद्धा-भाव से करता है। उसकी भौतिक संसार में इच्छित वर अवश्य प्राप्त होता है। devotional vishwakarma puja history
विश्वकर्मा जी की जन्म कथा devotional vishwakarma puja history
पौराणिक कथा अनुसार सृष्टि के प्रारम्भ में भगवान विष्णु जी का क्षीर सागर में शेषशय्या पर आविर्भूत हुए। भगवान विष्णु जी के नाभि-कमल से चतुर्मुख भगवान ब्रह्मा जी दृष्टिगोचर हुए। भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव हुए। devotional vishwakarma puja history
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार धर्म की वस्तु नामक स्त्री से उतपन्न वास्तु सातवें पुत्र थे जो शिल्पकला के प्रवर्तक थे। वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा जी उतपन्न हुए। पिता की भांति विश्वकर्मा जी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने। devotional vishwakarma puja history
विश्वकर्मा पूजा महत्व devotional vishwakarma puja history
विश्वकर्मा जयंती 16 या 17 सितम्बर को मनाई जाती है। इस दिन देश के विभिन्न राज्यों के औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, शोरूम, वाहन सर्विस सेंटरों आदि में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन वाहनों, मशीनों एवम औजारों की पूजा की जाती है। devotional vishwakarma puja history
इस दिन कल-कारखाने बंद रहते है। लोग बड़े ही हर्षौल्ल्लास के साथ विश्वकर्मा पूजा मनाते है। भारत के सभी हिस्सों में विश्वकर्मा पूजा 16 या 17 सितम्बर को मनाई जाती है। किन्तु चंडीगढ़ और पंजाब के क्षेत्रों में यह पर्व दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। devotional vishwakarma puja history
पूजन विधि: devotional vishwakarma puja history
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए विशेष यज्ञ विधि का विधान है। इसके लिए व्रती को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। स्नान आदि से निवृत होकर पत्नी सहित पूजा स्थल में बैठे। तत्पश्चात भगवान विष्णु जी का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर ॐ शक्तपे नमः, ॐ अनन्तम नमः, ॐ कुमयि नमः मंत्र का उच्चारण कर चारों ओर अक्षत छिड़क कर पीली सरसों लेकर दिग्बन्धन करें। तदोपरांत भगवान विश्वकर्मा जी का ध्यान कर पूजा का प्रारम्भ करें। devotional vishwakarma puja history
अनंत चतुर्दशी की कथा एवं इतिहास
पूजा प्रारम्भ में घी का दीप जलावें एवम कलश स्थापित करें। तत्पश्चात पंचपल्लव, सप्त मृन्तिका, सुपारी, दक्षिणा आदि कलश में डालकर लाल वस्त्र से कलश को आच्छादन करके ताम्बे की एक पात्र में चावल रखकर उसपर भगवान विश्वकर्मा जी मूर्ति को स्थापित करें। भगवान विश्वकर्मा जी को पुष्प अर्पित कर वंदना करना चाहिए। devotional vishwakarma puja history
हे देव, इस मूर्ति में विराजिए एवम मेरी पूजा को स्वीकार कीजिए। इस प्रकार पूजा सम्पन्न के समय औजार की पूजा करें। तत्पश्चात हवन करें। पूजा सम्पन्न होने के पश्चात भगवान विश्वकर्मा से सुख, सम्पत्ति आदि की मनोकामना करें। इस प्रकार भगवान विश्वकर्मा जी की कथा सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए भगवान विश्वकर्मा जी की जय। devotional vishwakarma puja history
(प्रवीण कुमार)