अगहन मार्गशीर्ष अमावस्या इतिहास history-and-satory-of-agahan-or-margshish
हिंदी पंचांग के अनुसार इस वर्ष का मार्गशीर्ष अमावस्या ११ दिसंबर को है। मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है। ऐसा माना गया है की मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करने से हर सिद्धि पूरी होती है। अमावस्या होने के कारण इस दिन स्नान, दान, और अन्य धार्मिक कार्य किये जाते है। मार्गशीर्ष अमावस्या को पूर्वजो के पूजन का दिन भी माना गया है।
धार्मिक धारणाये
मार्गशीर्ष अमावस्या कई धार्मिक कार्यों के लिए विशेष है। इस दिन लक्ष्मी पूजन, भगवान कृष्ण की पूजा के साथ-साथ पितरो की भी पूजा की जाती है। ऐसी धारणा है की पितरो की मोक्ष प्राप्ति और सद्गति के लिए लोगो को इस दिन अमावस्या व्रत करना चाहिए। अमावस्या व्रत के करने से न केवल पितरो को मोक्ष और शांति मिलती है बल्कि व्रतधारी को भी अक्षय फल मिलता है।
श्रीकृष्ण का कथन
भगवान श्री कृष्ण ने गीता उपदेश में अर्जुन से कहा है की महीनो में मैं मार्गशीर्ष या अगहन माह हूँ। भगवान कृष्ण कहते है अगहन या मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ। शास्त्रो के अनुसार सतयुग काल में वर्ष का प्रारम्भ मार्गशीर्ष माह की प्रथम तिथि से होती थी। अतःमार्गशीर्ष माह पावन माह के नाम से भी जाना जाता है।
अतः सभी लोगो के लिए अमावस्या व्रत लाभकारी है। विधि पूर्वक और शुद्ध मन से यह व्रत करना चाहिए। प्रेम से बोलिए श्री कृष्ण भगवान की जय। history-and-satory-of-agahan-or-margshish
( प्रवीण कुमार)